समझकर भी कौन सा मेरे दिल का बोझ हल्का करोगे। समझकर भी कौन सा मेरे दिल का बोझ हल्का करोगे।
लगता है उम्मीद का आफताब महताब बन निकल आया है लगता है उम्मीद का आफताब महताब बन निकल आया है
जुबाँ रूके दम घुटे निकलें आँसू। जुबाँ रूके दम घुटे निकलें आँसू।
मन को मेरे सकून पहुँचाती ये आँसू। मन को मेरे सकून पहुँचाती ये आँसू।
दाग दुखता है, दिखता नहीं। जिन्दगी में भी, जिन्दगी के बाद भी। दाग दुखता है, दिखता नहीं। जिन्दगी में भी, जिन्दगी के बाद भी।
या मेरी बढ़ती उम्र का तकाज़ा है। या मेरी बढ़ती उम्र का तकाज़ा है।